उत्तराखंड में चाय की खेती की बदलेगी तस्वीर

उत्तराखंड में चाय की खेती की बदलेगी तस्वीर

उत्तराखंड कैबिनेट ने उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के ढांचे में 11 अतिरिक्त पद सृजित करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है। इससे जाहिर होता है कि प्रदेश में चाय की खेती की अब तस्वीर बदलेगी जिससे चाय की खेती को बढ़ावा मिलेगा और  स्वरोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। 

इस निर्णय से राज्य में पुराने चाय बागानों के जीर्णाेद्धार, नए चाय बागानों की स्थापना, नए क्षेत्रों में चाय की खेती की संभावना के दृष्टिगत सर्वेक्षण, परती भूमि में चाय के पौधों का रोपण जैसे कार्यों में तेजी आएगी।

प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में चाय उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। इसे देखते हुए चाय की खेती व उत्पादन को समुचित कदम उठाने के साथ ही वित्तीय व्यवस्था, निवेश, संयंत्र की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2004 में उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड का गठन किया गया। इसका मुख्यालय अल्मोड़ा में स्थापित किया गया।

अभी तक आठ पर्वतीय जिलों के 29 विकासखंडों के 1471 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय की खेती हो रही थी। इस बीच बोर्ड ने चंपावत में जिले 100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले चाय बागानों की लीज अवधि समाप्त होने के बाद इन्हें किसानों को वापस कर दिया था। 

साथ ही चंपावत, पिथौरागढ़, चमोली व टिहरी में चाय की खेती के दृष्टिगत चाय के पौधों के रोपण के लिए 120 हेक्टेयर क्षेत्र चिह्नित किया गया। साथ ही कुछ और नए क्षेत्र भी चिह्नित किए जा रहे हैं।

इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए चाय विकास बोर्ड के पास कार्मिकों की कमी बाधक बन रही थी। इसी क्रम में कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग की ओर से बोर्ड में अतिरिक्त पदों के सृजन का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया। इसे स्वीकृति दे दी गई। बोर्ड के ढांचे में जिन 11 अतिरिक्त पदों के सृजन को मंजूरी दी गई है, उनमें चार नियमित और सात आउटसोर्स के होंगे।

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