हमारी पंचायत, देहरादून
उत्तराखंड में इस बार बारिश ने जंगलों में लगने वाली आग को काफी हद तक नियंत्रित कर रखा है। मौसम की इस मेहरबानी का सीधा लाभ उत्तराखंड वन विभाग को मिला है। साल 2025 में बारिश ने वन विभाग को राहत की सांस लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस फायर सीजन में अब तक केवल 226 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है।
साल 2025 में उत्तराखंड में कुल 203 आग की घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें गढ़वाल क्षेत्र में 109, कुमाऊं क्षेत्र में 74, और वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र में 18 घटनाएं शामिल हैं। प्रभावित वन क्षेत्र की बात करें तो गढ़वाल में 114 हेक्टेयर, कुमाऊं में 88 हेक्टेयर, और वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र में 20 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ।
पिछले साल यानी 2024 में 1177 आग की घटनाओं में 1617 हेक्टेयर वन क्षेत्र जलकर खाक हो गया था। वहीं, 2023 में 466 घटनाओं में 536 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ था। इस तरह, 2025 में आग की घटनाएं और प्रभावित क्षेत्र दोनों ही पिछले तीन वर्षों की तुलना में काफी कम रहे।
बारिश का जादू
उत्तराखंड में फायर सीजन की शुरुआत 15 फरवरी से होती है, लेकिन इस बार मौसम ने समय से पहले अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। रुक-रुक कर होने वाली बारिश ने जंगलों में नमी बनाए रखी, जिससे आग की घटनाओं को नियंत्रित करने में मदद मिली। फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई में सामान्य से 32% अधिक बारिश दर्ज की गई, जिसने जंगलों को आग से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस बार उत्तराखंड में मानसून के 10 दिन पहले दस्तक देने की संभावना है। यह वन विभाग के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। बारिश ने न केवल आग की घटनाओं को कम किया, बल्कि जिन क्षेत्रों में आग लगी, उन्हें भी समय रहते काबू करने में मदद की।
उत्तराखंड के जंगलों के लिए इस बार का फायर सीजन राहत भरा रहा। बारिश और मौसम की मेहरबानी ने वन विभाग को न केवल आग से होने वाले नुकसान से बचाया, बल्कि पर्यावरण और वन्यजीवों की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उम्मीद है कि भविष्य में भी प्रकृति का यह साथ बना रहेगा, ताकि उत्तराखंड के हरे-भरे जंगल सुरक्षित रहें।