वैश्विक बाजार में छाई रामनगर की लीची की मिठास

वैश्विक बाजार में छाई रामनगर की लीची की मिठास

हमारी पंचायत

नैनीताल जिले का रामनगर, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के लिए विश्व प्रसिद्ध है, अब एक और वजह से सुर्खियों में है। यह वजह है यहां की मीठी और रसीली लीची, जो अब केवल स्थानीय बाजारों तक सीमित नहीं रही, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है।

साल 2023 में GI (Geographical Indication) टैग मिलने के बाद रामनगर की लीची ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। इस पहचान को और मजबूत करने में एक नई तकनीक ‘नॉन वोवन बैग्स’ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसने न सिर्फ लीची की गुणवत्ता को बेहतर किया है, बल्कि किसानों की आय में भी इजाफा किया है। 

रामनगर के बागान मालिक दीप बेलवाल ने बताया कि उन्होंने पंतनगर यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर व्यापक शोध किया। इस शोध में पाया गया कि नॉन वोवन बैग्स लीची के गुच्छों को गर्मी, कीटों, पक्षियों और तूफानों से बचाने का सबसे प्रभावी तरीका है। जब लीची के गुच्छों को इन बैग्स में लपेटा गया, तो न सिर्फ फल सुरक्षित रहे, बल्कि उनका आकार, रंग और स्वाद भी पहले से कहीं बेहतर हो गया।

यह तकनीक प्राकृतिक आपदाओं जैसे आंधी-तूफान और ओलावृष्टि से भी फलों को सुरक्षित रखती है। कीट, चिड़िया और चमगादड़ जैसे नुकसानदायक तत्वों से भी लीची पूरी तरह सुरक्षित रहती है। सबसे खास बात यह है कि इस तकनीक के उपयोग से कीटनाशकों के छिड़काव की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे किसानों का खर्च कम होता है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता। 

उद्यान अधिकारी अर्जुन सिंह परवाल के अनुसार, नॉन वोवन बैग्स के उपयोग से लीची की क्रैकिंग (फल के फटने) की समस्या पूरी तरह खत्म हो गई है। इससे न केवल उत्पादन में वृद्धि हुई है, बल्कि फलों की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। बाजार में अब रामनगर की लीची को बेहतर दाम मिल रहे हैं। इस साल कई खेतों में इस तकनीक को ट्रायल के तौर पर अपनाया गया और परिणाम अत्यंत उत्साहजनक रहे।

साल 2023 में GI टैग मिलने के बाद रामनगर, कालाढुंगी, कोटाबाग और चकलुआ क्षेत्र की लीची को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। इन क्षेत्रों में लगभग 900 हेक्टेयर भूमि पर लीची की खेती होती है, जहां करीब 1 लाख 40 हजार लीची के पेड़ हैं। इस क्षेत्र में 2000 से अधिक किसान लीची की खेती से जुड़े हैं। GI टैग ने न केवल इन किसानों के उत्पाद को एक विशिष्ट पहचान दी, बल्कि इसे वैश्विक बाजार में भी प्रतिस्पर्धी बनाया।

नॉन वोवन बैग्स जैसी नवाचार तकनीकों ने रामनगर की लीची को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। यह तकनीक न सिर्फ फलों की गुणवत्ता को बढ़ाती है, बल्कि किसानों की मेहनत को भी सही मायनों में फलदायी बनाती है। रामनगर की लीची अब केवल एक फल नहीं, बल्कि विज्ञान, नवाचार और किसानों की मेहनत की मिठास का प्रतीक बन चुकी है। 

रामनगर की लीची अब देश के कोने-कोने में अपनी मिठास बिखेर रही है और जल्द ही यह विदेशी बाजारों में भी अपनी खुशबू फैलाने के लिए तैयार है। यह न केवल स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का स्रोत है, बल्कि उत्तराखंड की कृषि और नवाचार की कहानी को भी दुनिया के सामने ला रही है। रामनगर की लीची की यह मिठास अब सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं, बल्कि यह एक प्रेरणा है—किसानों की मेहनत, विज्ञान की ताकत और नवाचार की उड़ान का प्रतीक।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *