केदारनाथ धाम में खुलेआम जलाया जा रहा प्लास्टिक कचरा

केदारनाथ धाम में खुलेआम जलाया जा रहा प्लास्टिक कचरा

जलते कूड़े से फैल रहा प्रदूषण

हमारी पंचायत, देहरादून

प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में चटख धूप खिली हुई है। श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। कपाट बंदी से पूर्व कई वीवीआईपी भी चारों धाम के दर्शन को उत्तराखण्ड पधार रहे हैं।

पुनर्निर्माण के नये दौर से गुजर रहे केदारधाम में भारी मशीन भी खुदाई आदि में जुटी हुई है। पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील उच्च हिमालयी इलाके में खुलेआम कूड़े के ढेर भी जल थे हैं। इनमें प्लास्टिक भी जल रहा है। शुक्रवार की तीखी व खिली धूप में जल रहा कूड़ा कैमरे में रिकॉर्ड किया गया।

वायु प्रदूषण बढ़ा रहे जलते कूड़े के ढेर पर जिम्मेदार लोगों की नजर नहीं है। जिम्मेदार लोग बीवीआईपी की आवभगत व उनके साथ फोटो खिंचाने में व्यस्त हैं।

कभी कभी इन इलाकों में स्वंयसेवी संस्थाए कूड़े का प्रबंधन करती नजर आयी। लेकिन फिलहाल नियमों का उल्लंघन कर खुलेआम कूड़ा जलाते व्यापारियों पर किसी तरह के जुर्माने की खबर नहीं है।

बीते सालों में ग्लेशियर के पीछे हटने की खबरें सुर्खियां बन रही है। इसी केदारधाम के पीछे 2013 में तबाही मचाने वाले चोराबरी ताल / ग्लेशियर के सिकुड़ने का वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने परंपरागत तरीके से अध्ययन किया था।

बांस की खपच्चियों समेत अन्य देसी साधनों से धाम के आस पास की बर्फबारी को मापने व आंकलन करने पर प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन पत्रिका ने डीपी डोभाल को विशेष सम्मान किया था। बहरहाल, उच्च हिमालयी इलाके में इस तरह जलते कूड़े ने कई जारी दावों के बीच कई सवाल भी खड़े कर दिए है।

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