पटना में दो दिवसीय “यात्रा एवं पर्यटन मेला” का शुभारंभ
हमारी पंचायत, पटना
बोधगया जहां भगवान बुद्ध को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था वहां बुद्धिस्ट सर्किट से और पटना साहिब गुरुद्वारे को पोंटा साहिब से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। उक्त बात प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने मंगलवार को पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर-ज्ञान भवन में बिहार सरकार के दो दिवसीय “यात्रा एवं पर्यटन मेला” के उद्घाटन अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों को प्रदर्शित किया।

पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर-ज्ञान भवन में दो दिन 22 और 23 अक्टूबर 2024 तक चलने वाली यात्रा एवं पर्यटन मेला (टी मिर्जा) में प्रतिभाग कर रहे देशों के विभिन्न राज्यों के दौरे और टूर ट्रेवल्स से जुड़े लोगों से मुलाकात की गई।
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अहम योगदान है। पर्यटन के माध्यम से ही हमें नई जगह की संस्कृति और वहां के इतिहास का पता चलता है। हमारे देश के ऋषि मुनियों ने भी पर्यटन को सबसे पहले महत्व दिया है।
प्राचीन गुरुओं, ब्राह्मणों, ऋषियों, तपस्वियों ने कहा है कि “बिना पर्यटन मानव अंधकार प्रेमी रह जाएगा।” तो वहीं पाश्चात्य विद्वान आगस्टिन ने कहा है कि “बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधूरा है।”

उन्होंने कहा कि बिहार में स्थित गंगा की सहायक नदी पुनपुन और जहां पर पिंडदान करने का महत्व है, वहां बद्रीनाथ धाम स्थित ब्रह्मकपाल से मिले भारत के दो ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड, देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम को भी उत्तराखंड में स्थित स्मारकों से जोड़ा जाएगा। ताकि बौद्धों को पौराणिक और धार्मिक महत्व की जानकारी मिल सके।
उन्होंने अपने दस्तावेज़ में कहा कि राज्य सरकार द्वारा सुव्यवस्थित मास्टर योजना के तहत श्री कृष्ण मंदिर एवं श्री बद्रीनाथ धाम के साथ ही जागेश्वर धाम, महासू, टिम्मरसैन आदि का विकास किया जा रहा है। इस साल अभी तक लगभग 42.00 लाख आसान चारधाम यात्रा पर आ चुके हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार राज्य में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। उत्तराखंड पर्यटन द्वारा शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल शुरू की गई है, जिसमें यात्रियों, पर्यटकों को हेली के माध्यम से भगवान शिव के निवास स्थान आदि कैलाश और ऊं पर्वत के भव्य दर्शन कराए जा रहे हैं।
इसके अलावा राज्य में खगोलीय पर्यटन (एस्ट्रो टूरिज्म) को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है। उत्तराखंड में एस्ट्रो टूरिज्म गंतव्यों की सूची है। उत्तराखंड अपने विशाल वन क्षेत्र, प्रकृति आधारित पर्यटन और गृह-स्थान के साथ-साथ एस्ट्रो टूरिस्ट की पसंदीदा स्थिति के लिए विशिष्ट है।
उत्तराखंड पर्यटन द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों पर नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) का आयोजन शुरू किया गया है, जो भारत का पहला वार्षिक अभियान है। उत्तराखंड टूरिज्म द्वारा आयोजित प्रथम दो नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) की अपार सफलता को देखते हुए अब 08 से 10 मार्च, 2024 तक बेनीताल में शुरू होने वाले तृतीय नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) का आयोजन होने जा रहा है।

महाराज ने कहा कि राज्य में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्तर के त्योहारों, मेलों जैसे उत्तरकाशी के दियरा बुग्याल में अडूधि उत्सव (बटर फेस्टिवल) का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा महासू (हनोल) में आयोजित होने वाले जागड़ा पर्व आदि का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाता है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड विवाह के लिए एक आदर्श लक्ष्य उभर रहा है। यहां का नैसर्गिक सौंदर्य, जलवायु, लोक विद्या और संस्कृति, अलौकिक स्मारक, विशेष रूप से तैयार किए गए स्थान और स्थानीय आतिथ्य जैसे ढांचे, पहाड़ों को खोलने जैसे अवसरों की योजना बनाने के लिए एक आदर्श स्थान बनाया जाता है।
पौराणिक काल से ही उत्तराखंड देवत्व का आशीर्वाद प्राप्त है। यह पवित्र भूमि कई देवी-देवताओं का निवास स्थान है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह रुद्र प्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण मंदिर में हुआ था। जो सभी देवी-देवता साक्षात्कार बने थे। इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई लोग मौजूद थे।
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