कुफरी की महासू चोटी

कुफरी की खूबसूरत महासू चोटी

जिला शिमला जो पहले महासू ज़िला के नाम से जाना जाता था। यह 15 अप्रेल 1948 में अस्तित्व में आया और 1 सितम्बर 1972 को ज़िलों के पुनर्गठन के बाद शिमला और सोलन दो ज़िलों में बाँट दिया गया। 1952 में मंडी-महासू के नाम से स्थापित मंडी लोकसभा सीट पहली बार अस्तित्व में आयी। उस दौर में एक लोकसभा सीट से दो सांसद चुनने का भी प्रावधान था। आकाशवाणी शिमला से अभी भी महासू और लोअर महासू के नाम से रेडियो कार्यक्रम चलते हैं। ज़िला शिमला में राजनीतिक पार्टियों के दो संगठन अलग- अलग बनते हैं। शहर का संगठन शिमला और ग्रामीण संगठन को महासू के नाम से ही बनाया जाता है। यहां जो महासू शब्द का उल्लेख हो रहा है यह वही महासू महाराज है जिनका मूल स्थान उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के हनोल में है।

शिमला से हनोल करीब 135 किलोमीटर की दूरी पर है और कुफरी से 10 किलोमीटर कम करीब 125 किलोमीटर। यह वही कुफरी है जो 70 और 80 के दशक में विशेष रूप से सर्दियों में बॉलीवुड शूटिंग का पसंदीदा गंतव्य था। यहां अनेकों फिल्म की शूटिंग हुई और दर्शकों ने भी इस जगह को भरपूर प्यार दिया। कुफरी एक खूबसूरत छोटा सा हिल स्टेशन है। इसी कुफरी की शीर्ष चोटी को “महासू पीक” अर्थात महासू चोटी के नाम से जाना जाता है। 9000 फीट की ऊंचाई के साथ यह कुफरी का उच्चतम बिंदु है। इस शिखर से साफ मौसम वाले दिनों में हिमालय का विहंगम दृश्य मनमोहक नज़र आता है। महासू पीक पहाड़ों व चोटियों के प्रेमियों के लिए अद्भुत जगह है यहां से शिवालिक पहाड़ियों में चूड़धार, शाली टीबा, हाटू पीक, कड़पाथर टॉप, छाजपर चोटी के अलावा पीर-पंजाल रेंज की श्रीखंड कैलाश चोटी, देव टिब्बा और इंद्रासन चोटियां, हिमाचल प्रदेश के जास्कर रेंज की किन्नर कैलाश (सारोंग) जोरकडेन चोटियां, इसके अलाव उत्तराखंड में स्वर्गारोहिणी, बंदरपुच्छ पर्वत श्रृंखला और गढ़वाल हिमालय की बद्रीनाथ/केदारनाथ पर्वत श्रृंखला आदि अनेक चोटियाँ सामने साफ दिखाई देती हैं। जिनका रंग बर्फ पर पड़ने वाली रौशनी से बदलता रहता है।

सर्दियों के दौरान महासू पर्वतमाला लोगों के लिए स्कीइंग का अभ्यास करने के लिए एक शानदार जगह है और इसे स्कीइंग के रूप में जाना जाता है। कुफरी-महासू पीक पर अधिकृत साहसिक कंपनियों द्वारा विभिन्न प्रकार की साहसिक और अन्य मनोरंजन गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। महासू चोटी तक पहुंचने के लिए कुफरी से देवदार और स्प्रूस के घने जंगल के बीच से 2 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। घने जंगल में पैदल चलने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे हनोल से देवबन या सरांह से चूड़धार जा रहे हो। इसके अलावा महासू शिखर तक पहुंचने के लिए ड्राइव करके भी पहुंचा जा सकता है। जब आप महासू चोटी पर पहुंचते हैं, तो वहां एक छोटा और सुन्दर नाग देवता का मंदिर है (नाग देवता कुफरी के स्थानीय देवता हैं), जो देखने लायक है। यह स्थान शिमला में घुड़सवारी, टेलीस्कोपिंग हिमालय, स्कीइंग और अन्य साहसिक गतिविधियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां पहुँचने पर महासू महाराज के मंदिर हनोल की भांति मन को शांति और सुकून मिलता है।

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